Monday, September 7, 2009

About ME

अब मैं क्या बता दूं अपने बारे में जो आपको पता नहीं मेरी ज़िन्दगी कोई अनछुई किताब तो नहीं फिर भी हैं कुछ पन्ने जिनका सबको पता नहीं कुछ अच्छे कुछ दुःख देने वाले जिनको उजागर करने का मेरा अभी कोई विचार नहीं हर पल खुद को बेहतर बनाने की तलब हर वक़्त रहती है ये बात और है कि कोई कमी हर वक़्त रहती है सीधा सच्चा बनने की एक चाह रहती है ये आसन सी लगने वाली बात भी परेशान कर जाती है ये चाह भी एक चाह बन कर रह जाती है हर पल कुछ नया सीखने की आस रहती है लेकिन जाने क्यूँ ये भी एक अनबुझी प्यास बन कर रह जाती है हर रिश्ते में कुछ नए रंग भरने की ख्वाहिश रहती है मगर फिर वही जब मौका मिलता है कुछ न कुछ कमी रह जाती है हर पल को पूरा जीने में भरोसा रखते हैं काफी कुछ याद रहता है लेकिन हर पल इसी बात को भूल जाते हैं कुछ कर सकें अपने चाहने वालों के लिए ऐसा अरमान है करें हम पर भी गर्व ज़माने वाले कुछ ऐसा कर गुजरने का हमेश से प्रयास है बातें और भी हैं हमारे बारे में जिन्हें जाहिर नहीं कर सकते यूँ पब्लिक में हो रूचि तो मिलें प्राइवेट में अलग है मज़ा यूँ एक दूसरे को जानने में || - विनय 'विनोद' द्वारा रचित

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