अजब है ये जिंदगी
गज़ब है ये ज़िन्दगी
जाने कब कौन से रंग
दिखा दे ये ज़िन्दगी
हर पल हर घड़ी इक नयी
तस्वीर दिखाती ये ज़िन्दगी
जाने कब कौन सी
दास्ताँ लिख दे ये जिंदगी
हर शख्श के लिए
कुछ अनोखा तलाशती ये ज़िन्दगी
हर समस्या के लिए
कुछ निदान खोजती ये ज़िन्दगी
हर आदि का अंत
सुझाती ये ज़िन्दगी
मुश्किलों से लड़ना
सिखाती ये ज़िन्दगी
इसके बिना कैसे
कटती ये ज़िन्दगी
इक स्वास का बस खेल है
फिर तमाम है ये ज़िन्दगी
फिर भी हर खास-ओ-आम
की तलाश है ये ज़िन्दगी
हर ग़म को भुला दे
ऐसी है ये ज़िन्दगी
हर समय मुस्कुराते रहने
का नाम है ये ज़िन्दगी
हर वक़्त एक अबूझ
पहेली है ये ज़िन्दगी
अजब है ये ज़िन्दगी
गजब है ये ज़िन्दगी||
-विनय 'विनोद'
Thursday, October 1, 2009
दर्द ही बस साथ है
पहले प्यार की वो यादें
कुछ बेहद ही हसीं यादें
ज़िन्दगी भर न भुला पाएंगे हम
तेरे ख्यालों में जो बीते कुछ अलसाई रातें
एक तरफे प्यार का दर्द आज भी कोसता है
बचपन में ही इज़हार कर दिया होता तो
शायद हसीन होती ये यौवन की रातें
अब तो हर कोशिश उस इक गलती की
झूठी भरपाई-सी ही लगती है
कि अब तो नामुमकिन सा ही लगता है
उसके दिल में जगा पाना अपने लिए
कुछ प्यार-भरी ज़ज्बातें
अब कौन समझाए उसको
और कैसे समझाए हम खुदको
ज़िन्दगी यूँ तो बसर न होगी तन्हा
फिर भी ये पागल मन् रहता है
जाने क्यूँ हरदम सहमा सहमा
खुशनसीब हैं वो जो
दिल की बात जुबाँ से कह पते हैं
हम तो बस दिल का दर्द लिए
अन्दर ही अन्दर घुट कर रह जाते हैं
हम तो प्यार में यूँ दीवाने हुए
कि दिलबर की गलियों के चक्कर लगाने लगे
बस इक झलक पाने को बेकरार रहने लगे
अरे देने वाले इतनी तो अक्ल दी होती
कि अपने इश्क का इज़हार भी कर
दिया होता इसी हाथ लगे
कम से कम ज़िन्दगी भर का
ये रोना तो न होता
इतने बरस आस लगा के
सपने देखते रहे
तुम तो चले गए जाने कब
अपनी हालत तो बस हम ही जानते हैं
छुट्टियों से लौटकर हम आये जब
सात बरस तक बस तुम्हारी
यादें सजोये
वक़्त काटा बस ये सोच कर
की तुम भी हो कहीं आँखे बिछाए
चलो हमारे तड़पते दिल ने
तुम्हारा पता खोज ही लिया
बड़ी हिम्मत जुटा कर
तुम्हारे घर भी पहुंचे
तुमसे मिल तुम्हारे हाथ
का बना खाना भी खाया
मगर अब भी हम हाल-ए- दिल
बयाँ न कर सके
सब कुछ किया मगर
असल मर्ज़ का इलाज तो किया ही नहीं
खैर जुझारू व्यक्ति हम
चार साल बाद हमने
हिम्मत फिर से जुटा ही लिया
आमने सामने न सही
सेलफोन का सहारा लिया
मगर ग्यारह साल शायद
तुम्हारे लिए लम्बा वक़्त था
तुम्हे कोई और मिल गया था
इसका तो नहीं पता
मगर हमें भुला देने के लिए
ये दरम्याँ कहीं ज्यादा था
अब तो बात करना भी गवारा नहीं तुमको
जाने क्या बात है
एक तरफे इस प्यार का अब
दर्द ही बस साथ है
तुम न सही
तुम्हारे प्यार में
गुजारे वो सारे लम्हे
मेरे साथ हैं ||
-विनय 'विनोद'
कुछ बेहद ही हसीं यादें
ज़िन्दगी भर न भुला पाएंगे हम
तेरे ख्यालों में जो बीते कुछ अलसाई रातें
एक तरफे प्यार का दर्द आज भी कोसता है
बचपन में ही इज़हार कर दिया होता तो
शायद हसीन होती ये यौवन की रातें
अब तो हर कोशिश उस इक गलती की
झूठी भरपाई-सी ही लगती है
कि अब तो नामुमकिन सा ही लगता है
उसके दिल में जगा पाना अपने लिए
कुछ प्यार-भरी ज़ज्बातें
अब कौन समझाए उसको
और कैसे समझाए हम खुदको
ज़िन्दगी यूँ तो बसर न होगी तन्हा
फिर भी ये पागल मन् रहता है
जाने क्यूँ हरदम सहमा सहमा
खुशनसीब हैं वो जो
दिल की बात जुबाँ से कह पते हैं
हम तो बस दिल का दर्द लिए
अन्दर ही अन्दर घुट कर रह जाते हैं
हम तो प्यार में यूँ दीवाने हुए
कि दिलबर की गलियों के चक्कर लगाने लगे
बस इक झलक पाने को बेकरार रहने लगे
अरे देने वाले इतनी तो अक्ल दी होती
कि अपने इश्क का इज़हार भी कर
दिया होता इसी हाथ लगे
कम से कम ज़िन्दगी भर का
ये रोना तो न होता
इतने बरस आस लगा के
सपने देखते रहे
तुम तो चले गए जाने कब
अपनी हालत तो बस हम ही जानते हैं
छुट्टियों से लौटकर हम आये जब
सात बरस तक बस तुम्हारी
यादें सजोये
वक़्त काटा बस ये सोच कर
की तुम भी हो कहीं आँखे बिछाए
चलो हमारे तड़पते दिल ने
तुम्हारा पता खोज ही लिया
बड़ी हिम्मत जुटा कर
तुम्हारे घर भी पहुंचे
तुमसे मिल तुम्हारे हाथ
का बना खाना भी खाया
मगर अब भी हम हाल-ए- दिल
बयाँ न कर सके
सब कुछ किया मगर
असल मर्ज़ का इलाज तो किया ही नहीं
खैर जुझारू व्यक्ति हम
चार साल बाद हमने
हिम्मत फिर से जुटा ही लिया
आमने सामने न सही
सेलफोन का सहारा लिया
मगर ग्यारह साल शायद
तुम्हारे लिए लम्बा वक़्त था
तुम्हे कोई और मिल गया था
इसका तो नहीं पता
मगर हमें भुला देने के लिए
ये दरम्याँ कहीं ज्यादा था
अब तो बात करना भी गवारा नहीं तुमको
जाने क्या बात है
एक तरफे इस प्यार का अब
दर्द ही बस साथ है
तुम न सही
तुम्हारे प्यार में
गुजारे वो सारे लम्हे
मेरे साथ हैं ||
-विनय 'विनोद'
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