Friday, August 21, 2009

तेरा ख्याल






हर घड़ी किसी की याद रहती है दिल में
हर घड़ी किसी की चाह रहती है दिल में
कुछ ख्वाहिशें हैं दबी सी
दस्तकें जो बार बार देती हैं दिल में ||

क्यों याद करते है उन पलों को
जो सब कुछ भुला देती हैं
क्या वजूद है उनका
जो बार बार गम का परवान चढाती हैं दिल में ||

हम तो वफ़ा करके भी तड़पे
वो बेवफाई करके भी खफ़ा हैं
खता हमने क्या की
कसक जिसकी बार बार उठती है दिल में ||

अब तो उम्मीद भी ना बाकी कोई
बस जीयें जाते हैं
इस नाउमीदी में भी लेकिन
तेरा ख्याल बार बार आता है दिल में ||

अब तो विनोदी समझाता है यही
न आने दे उन ख्यालों को
जो चोट पहुंचाती हैं बार बार दिल में
जो जख्म हरा कर जाती है बार बार दिल में ||

-विनय 'विनोद' द्वारा रचित

Wednesday, August 19, 2009

तलाश हमारी तलाश तुम्हारी


एक तलाश तो है
मगर, किस चीज़ की है
इसकी खबर अब तक नहीं है ||
क्या वो तलाश है एक सुनहरे भविष्य की
एक अच्छी जीविका की
जो हो सुबह से शाम की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक सुखी परिवार की
एक बीवी दो बच्चों की
बच्चों के आजी बाबा की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक सभ्य समाज की
आपस में भाईचारे की
सद्भाव और समभाव की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक देश महान की
सच्चे और ईमानदार नेताओं की
जागरूक और परिश्रमी नागरिकों की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है विश्व शांति की
वसुधैव कुटुम्बकम की
आतंकवाद के विनाश की
चहूँ ओर सुख-शांति की
स्वच्छ पर्यावरण की
प्रेम और परमार्थ की
शायद यही शायद यही ||

फिर भी एक भ्रम है
कहीं कोई संदेह है
शायद कोई तलाश है
कहे विनोदा बस यही
ये तलाश तो अभी जारी है ||
-विनय 'विनोद' द्वारा रचित