Wednesday, August 19, 2009

तलाश हमारी तलाश तुम्हारी


एक तलाश तो है
मगर, किस चीज़ की है
इसकी खबर अब तक नहीं है ||
क्या वो तलाश है एक सुनहरे भविष्य की
एक अच्छी जीविका की
जो हो सुबह से शाम की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक सुखी परिवार की
एक बीवी दो बच्चों की
बच्चों के आजी बाबा की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक सभ्य समाज की
आपस में भाईचारे की
सद्भाव और समभाव की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है एक देश महान की
सच्चे और ईमानदार नेताओं की
जागरूक और परिश्रमी नागरिकों की
शायद यही शायद यही ||
क्या वो तलाश है विश्व शांति की
वसुधैव कुटुम्बकम की
आतंकवाद के विनाश की
चहूँ ओर सुख-शांति की
स्वच्छ पर्यावरण की
प्रेम और परमार्थ की
शायद यही शायद यही ||

फिर भी एक भ्रम है
कहीं कोई संदेह है
शायद कोई तलाश है
कहे विनोदा बस यही
ये तलाश तो अभी जारी है ||
-विनय 'विनोद' द्वारा रचित

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